प्रधानमंत्री आवास योजना: नवगठित ग्राम पंचायतों और नगरपालिका क्षेत्रों में सर्वे से जुड़ी समस्याएं, हजारों पात्र परिवारों को राहत नहीं मिलने का डर

बाड़मेर। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पात्र परिवारों को पक्के मकान का सपना पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने 10 जनवरी से 24 जनवरी तक आवेदन की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन, पंचायतों के पुनर्गठन और व्यवस्थागत खामियों के चलते हजारों पात्र परिवार इस योजना से वंचित रह सकते हैं।

वर्ष 2020 में ग्राम पंचायतों के सीमांकन और नवगठित जिलों की जानकारी पोर्टल पर सही तरीके से अपडेट नहीं होने के कारण आवेदन में बड़ी दिक्कतें आ रही हैं। आवास प्लस एप के जरिए ग्रामीण परिवारों को स्व-आधारित सर्वे करना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं और प्रशासनिक खामियों के चलते यह प्रक्रिया बाधित हो गई है।

पुनर्गठित पंचायतों और जॉब कार्ड की समस्या

नए परिसीमन के तहत बनाई गई कई पंचायतों के जॉब कार्ड अभी भी पुरानी पंचायतों में दर्ज हैं। इस वजह से पात्र परिवार अपनी नई पंचायत का चयन नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों को पोर्टल पर अपनी नई पंचायत खोजने में समस्या हो रही है, और जॉब कार्ड पुरानी पंचायत में होने से उनका आवेदन अटक जा रहा है।

सर्वर की समस्या:
आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के प्रयास में सरकारी पोर्टल पर बार-बार सर्वर डाउन होने की समस्या सामने आ रही है। ग्रामीण कई बार आवेदन करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया अधूरी रह जाती है।

नवगठित जिलों में डेटा अपडेट नहीं, बढ़ी परेशानी

बाड़मेर जिले के पचपदरा, सिवाना, सिणधरी और गुड़ामालानी जैसे क्षेत्रों में पंचायतों का पुनर्गठन हुआ है। लेकिन, इन पंचायतों की सूचना पोर्टल पर सही तरीके से अपडेट नहीं हुई है।

सिणधरी ब्लॉक: पायला कला और आडेल पंचायत समिति की करीब 70 पंचायतें परिसीमन के बाद प्रभावित हुई हैं।

नवगठित पंचायतें: इनमें से 30 से अधिक पंचायतों का डेटा अभी तक अपडेट नहीं किया गया है, जिससे ग्रामीणों को पुरानी पंचायतों में जाकर आवेदन करना पड़ रहा है।

पालिका क्षेत्रों में सर्वे नहीं, असमंजस की स्थिति

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में तो सर्वे हो रहा है, लेकिन हाल ही में नगरपालिका क्षेत्रों में शामिल गांवों में सर्वे नहीं किया जा रहा है।
बालोतरा और बाड़मेर जैसे शहरीकरण वाले क्षेत्रों में कई कस्बों को नगरपालिका में शामिल किया गया है। इनमें जसोल और माजीवाला जैसे क्षेत्र भी हैं। इन क्षेत्रों के परिवार पात्र होने के बावजूद योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

सरकारी निर्देशों की कमी:
पालिका क्षेत्रों में सर्वे के लिए पंचायतीराज विभाग को कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिले हैं। संबंधित अधिकारियों ने यह जिम्मेदारी शहरी विकास विभाग पर डाल दी है।

ग्राम विकास अधिकारियों की चुनौतियां

सरकार ने ग्राम विकास अधिकारियों (वीडीओ) को सर्वे की जिम्मेदारी दी है, लेकिन पंचायत क्षेत्रों का बड़ा दायरा और सीमित संसाधन उनकी राह में बाधा बन रहे हैं। कई वंचित परिवारों तक पहुंचने में अधिकारियों को दिक्कत हो रही है।

वीडीओ की समस्या:

1.बड़ी पंचायतों में हर परिवार तक पहुंचना मुश्किल।

2.जॉब कार्ड और पोर्टल पर डेटा का अद्यतन न होना।

3.सर्वर की समस्या से ग्रामीणों की शिकायतों का समाधान करना कठिन।

तिथि बढ़ाने की मांग, वरना हजारों रहेंगे वंचित

केंद्र सरकार ने 24 जनवरी को आवेदन की अंतिम तिथि तय की है। अधिकारियों और ग्रामीणों का मानना है कि सर्वे की प्रक्रिया में बाधाओं को देखते हुए इस तिथि को बढ़ाया जाना चाहिए।

रामलाल, एक्सईएन और प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रभारी, बाड़मेर, का कहना है:

नगरपालिका क्षेत्र में सर्वे शहरी क्षेत्र वाले ही कर सकते हैं। जॉब कार्ड से जुड़ी समस्याओं का समाधान ग्राम विकास अधिकारियों के माध्यम से किया जा रहा है। तिथि बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।”

ग्रामीणों की आशा अधूरी

पक्के मकान का सपना संजोए हजारों ग्रामीणों को उम्मीद थी कि यह योजना उनकी जिंदगी बदल सकती है। लेकिन तकनीकी खामियां, प्रशासनिक कमजोरियां और सर्वे में हो रही देरी उनके सपने को अधूरा छोड़ने का संकेत दे रही है।

सरकार को चाहिए कि इन समस्याओं का जल्द समाधान करते हुए तिथि बढ़ाए, ताकि वंचित परिवारों को उनका अधिकार मिल सके।

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