
राजस्थान में एक बार फिर से मौसम करवट लेने को तैयार है। नए वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के सक्रिय होने से 26 और 27 दिसंबर को प्रदेशभर में बादल छाने और बारिश होने की संभावना है। इस बदलाव के कारण कहीं हल्की तो कहीं मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है, जबकि कुछ जिलों में ओले गिरने की भी संभावना है।
बारिश और ओलावृष्टि की संभावना मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के चलते राज्य के कई जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके साथ ही, कुछ इलाकों में ओलावृष्टि की भी संभावना है। यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय हो सकती है, खासकर उन इलाकों में जहां फसलें पकने के अंतिम चरण में हैं।
ठंड बढ़ने के संकेत : बारिश के इस नए दौर के कारण तापमान में और गिरावट दर्ज की जाएगी।
तापमान में गिरावट: बीकानेर, चूरू, गंगानगर और माउंट आबू जैसे क्षेत्रों में पहले से ही न्यूनतम तापमान में गिरावट देखी गई है। आने वाले दिनों में पूरे राज्य में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है।
कड़ाके की ठंड : पश्चिमी राजस्थान के कई इलाकों में शीतलहर का प्रकोप बढ़ सकता है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
प्रमुख प्रभाव और चेतावनी
1. कृषि पर असर: बारिश और ओलावृष्टि से रबी फसलों, जैसे गेहूं, सरसों और जौ, को नुकसान पहुंच सकता है।
2. यातायात पर असर: बारिश और शीतलहर के कारण सड़क और रेल यातायात प्रभावित हो सकता है।
3. स्वास्थ्य पर असर: ठंड के बढ़ने से सर्दी-जुकाम और अन्य शीतलहर संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
मौसम विभाग का अलर्ट : मौसम विभाग ने किसानों और आम जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है। किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए उचित कदम उठाने की सलाह दी गई है, जैसे कटाई की तैयारी करना और फसल को सुरक्षित स्थान पर रखना। वहीं, आम जनता से ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनने और जरूरतमंदों की मदद करने का आग्रह किया गया है।

आने वाले दिनों का पूर्वानुमान : मौसम विभाग का कहना है कि यह बारिश का दौर 28 दिसंबर तक थम सकता है, लेकिन इसके बाद भी ठंड का प्रकोप जारी रहेगा। ठंडी हवाएं और शीतलहर से राज्य के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान और नीचे जाने की संभावना है। राजस्थान में इस मौसम का प्रभाव न केवल जनजीवन पर पड़ेगा, बल्कि कृषि और पर्यावरण पर भी इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। प्रशासन और जनता को सतर्क रहकर इस बदलाव का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।