
यह मेला “मारवाड़ का अर्द्धकुंभ” के नाम से भी जाना जाता है। मेले का आयोजन पौष कृष्ण पक्ष अमावस्या की सोमवती अमावस्या को किया जाता है। यह एक दो दिवसीय मेला है, जिसमें श्रद्धालु स्नान, पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
सुईया धाम मेले का महत्व धर्मशास्त्रों में भी वर्णित है। यह मेला विशेष योग पर ही भरा जाता है, जो पौष माह, सोमवार, अमावस्या, मूल नक्षत्र और व्यातिपात योग के संयोग से बनता है।
इस मेले में श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान का अवसर मिलता है, जिससे उनके पाप धुल जाते हैं। यह मेला हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन है।
सुईया धाम मेले की विशेषता है इसकी पवित्र और शांत वातावरण। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और पवित्र नदी के किनारे स्थित मंदिरों की सुंदरता श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
इस मेले में श्रद्धालु अपने परिवार और मित्रों के साथ आते हैं और पवित्र स्नान, पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। यह मेला श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है जिसमें वे अपने धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त कर सकते हैं।
सुईया धाम मेले का आयोजन स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा किया जाता है। यह मेला स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि श्रद्धालु यहाँ के स्थानीय व्यापारियों से खरीदारी करते हैं।
इस मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। यहाँ के प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं।
सुईया धाम मेला एक अद्वितीय और पवित्र आयोजन है जो श्रद्धालुओं को अपने धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। यह मेला स्थानीय संस्कृति और धर्म को बढ़ावा देता है और श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय और यादगार अनुभव प्रदान करता है।