
राजस्थान में प्रदेशभर की ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों का पुनर्गठन 20 जनवरी से शुरू हो रहा है। राज्य सरकार ने इस पुनर्गठन की प्रक्रिया को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि यह कार्य सुचारू और समयबद्ध तरीके से सम्पन्न हो। ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज विभाग ने इस पुनर्गठन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि पंचायतों की कार्यप्रणाली में सुधार हो और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को तेज किया जा सके।
पुनर्गठन की प्रक्रिया के तहत, राज्यभर की ग्राम पंचायतों की सीमाओं में बदलाव किया जाएगा, नए पंचायत क्षेत्र स्थापित किए जाएंगे, और पंचायत समितियों के दायरे में संशोधन किया जाएगा। यह कदम स्थानीय प्रशासन की कार्यकुशलता को बढ़ाने और ग्राम स्तर पर बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार का मानना है कि पंचायतों के पुनर्गठन से न केवल प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा, बल्कि यह ग्रामीण विकास योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने में भी मदद करेगा।गाइडलाइन के अनुसार, प्रत्येक पंचायत क्षेत्र की जनसंख्या और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पुनर्गठन किया जाएगा। ग्राम पंचायतों की सीमाओं में बदलाव के साथ-साथ, कुछ पंचायतों का विलय भी किया जा सकता है।
इसके अलावा, पंचायत समितियों का आकार और क्षेत्रीय दायरा भी पुनः निर्धारित किया जाएगा ताकि प्रशासन को बेहतर तरीके से काम करने की सुविधा मिल सके।राज्य सरकार ने इस पुनर्गठन को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से लागू करने के लिए एक निगरानी प्रणाली विकसित की है, जिससे पंचायतों के पुनर्गठन में किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखा जा सके। साथ ही, इस प्रक्रिया के दौरान ग्रामवासियों और पंचायत प्रतिनिधियों से भी सुझाव लिए जाएंगे, ताकि पुनर्गठन से संबंधित निर्णय उनकी वास्तविक जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुसार लिए जा सकें।राज्य सरकार ने पंचायतों के पुनर्गठन को राज्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना है। इस कदम से पंचायतों को सक्षम बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है। 20 जनवरी से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया का पूरा ध्यान रखा जाएगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक पंचायत के पुनर्गठन के बाद विकास कार्यों में गति और पारदर्शिता आए।