
जयपुर। पंचायतीराज विभाग ने आज से ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन और नवसृजन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत राज्यभर में स्थानीय शासन व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और संतुलित बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रक्रिया की शुरुआत होते ही, कई जिलों के जनप्रतिनिधि सक्रिय हो गए हैं और इसे लेकर तैयारियों में जुट गए हैं।
इस प्रक्रिया का उद्देश्य पंचायतों के क्षेत्रीय विस्तार और सीमाओं का सही निर्धारण करना है, जिससे विकास कार्यों में पारदर्शिता और कुशलता आए। इसके अलावा, यह स्थानीय प्रशासन को अधिक सशक्त बनाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों की गति को तेज करेगा।
पंचायतीराज विभाग का मानना है कि इस पुनर्गठन से ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होगा, जिससे स्थानीय समस्याओं का समाधान जल्दी और प्रभावी ढंग से हो सकेगा। इस योजना को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्साह का माहौल है और जनप्रतिनिधि इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
पंचायतीराज संस्थानों के पुनर्गठन और नवसृजन की प्रक्रिया में जनप्रतिनिधियों के साथ विधायक और सांसद भी सियासी नफा-नुकसान तलाशने में लगे हुए हैं। नई पंचायत समितियों के गठन में सबसे बड़ी चुनौती ग्राम पंचायत के मुख्यालय पर सहमति बनाने की है। हालांकि, राज्य सरकार ने ग्राम पंचायत मुख्यालयों के निर्धारण के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं, फिर भी स्थानीय लोगों को अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने का अवसर दिया जाएगा। इन आपत्तियों का निस्तारण होने के बाद ही प्रस्तावों को आगे बढ़ाया जाएगा।
इसके अलावा, ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन से आबादी के मापदंड बदलने से इनकी संख्या में वृद्धि होने की संभावना है। इस बढ़ोतरी के साथ ही ग्राम विकास अधिकारी और ब्लॉक विकास अधिकारी सहित अन्य कर्मचारियों के पदों की आवश्यकता भी उत्पन्न होगी। इस प्रक्रिया में अतिरिक्त पद सृजित करने की आवश्यकता के साथ-साथ वित्तीय भार का आकलन भी किया जाएगा।
विभाग की ओर से इस नए बदलाव के लिए बजट प्रावधान तैयार किया जाएगा, ताकि सभी प्रशासनिक और विकासात्मक कार्य सुचारु रूप से चल सकें।साथ ही, यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन की कार्यक्षमता को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा, जिससे विकास कार्यों की गति और गुणवत्ता में सुधार होगा।