बाड़मेर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के सारला गाँव की बिटिया सुनीता पिंडेल ने अपनी कप्तानी में राजस्थान की 17 वर्षीय बालिका हैंडबॉल टीम को सिल्वर मेडल दिलवाकर न केवल अपने गाँव, बल्कि समूचे राज्य का नाम रोशन किया है।
सुनीता की इस ऐतिहासिक सफलता से जहाँ उनके परिवार में खुशी का माहौल है, वहीं पूरे गाँव में भी एक अलग ही खुशी छा गई है। उनके गाँववासी और स्कूल स्टाफ ने उनका जोरदार स्वागत किया और इस उपलब्धि को लेकर पूरे गाँव में जश्न का माहौल था।सुनीता पिंडेल की सफलता कोई छोटी बात नहीं है। यह उनकी मेहनत, संघर्ष और समर्पण का परिणाम है। उन्होंने बचपन से ही खेलों में रुचि दिखाई थी, लेकिन जब वह टीम की कप्तान बनीं, तब उनकी जिम्मेदारी और बढ़ गई। अपनी टीम को नेतृत्व करते हुए, सुनीता ने न केवल खेल में उत्कृष्टता दिखायी, बल्कि टीम के हर सदस्य को प्रेरित किया और उन्हें सफलता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन दिया। उनके नेतृत्व में राजस्थान की बालिका टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और आखिरकार सिल्वर मेडल हासिल किया।जब सुनीता अपने गाँव वापस लौटीं तो उनका स्वागत करने के लिए सारला गाँव के लोग एकत्रित हो गए।
गाँव में खुशी का माहौल था और पूरा वातावरण उत्सव से भर गया था। ग्रामवासियों ने सुनीता को फूलों की माला पहनाकर उनका अभिनंदन किया। साथ ही गाजे-बाजे के साथ उन्हें सम्मानित किया गया। सुनीता की इस सफलता को लेकर गाँव के प्रत्येक व्यक्ति का चेहरा खुशी से दमक रहा था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी ने इस पल को अपनी जीत की तरह महसूस किया। यह स्वागत न सिर्फ सुनीता की उपलब्धि का प्रतीक था, बल्कि यह संदेश भी था कि हमारे गाँवों में छिपी हुई प्रतिभाएँ बड़ी-बड़ी सफलताएँ हासिल कर सकती हैं।सुनीता के घर भी इस दिन की खुशी अलग ही थी। उनके माता-पिता और परिवार के सदस्य बेहद गर्व महसूस कर रहे थे।
सुनीता के पिता ने कहा कि यह दिन उनके लिए एक सपने जैसा है, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा सही मार्गदर्शन दिया था। सुनीता की माँ ने भी कहा कि वह हमेशा चाहती थीं कि उनकी बेटी खेल के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करे, और आज उनका सपना पूरा हुआ। परिवार के हर सदस्य ने इस पल का जमकर जश्न मनाया।यह सफलता सिर्फ सुनीता के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र और राज्य के लिए गर्व का विषय है। सुनीता ने यह साबित किया कि अगर किसी महिला को सही अवसर मिले और परिवार का समर्थन हो, तो वह किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर तक पहुँच सकती है। उनकी सफलता ने ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों को भी यह संदेश दिया कि वे भी खेलों के क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकती हैं।
सुनीता की सफलता से प्रेरित होकर अब गाँव के अन्य बच्चे भी खेलों के प्रति उत्साहित हैं। कई लड़कियाँ और लड़के अब अपने सपनों को सच करने के लिए खेलों में भाग लेने की सोच रहे हैं। यह सुनीता की कड़ी मेहनत और संघर्ष का ही परिणाम है कि गाँव के बच्चे अब खेलों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और उन्हें अपने भविष्य के लिए एक नई दिशा मिल रही है।
इस सफलता ने यह भी दिखाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में छिपी हुई प्रतिभाओं को अगर उचित अवसर मिले तो वे भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकती हैं। खेलों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सुनीता की यह सफलता एक प्रेरणा बन चुकी है।अंत में, सुनीता पिंडेल को उनके इस ऐतिहासिक सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।
उनका यह शानदार प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनेगा, और इस सफलता से प्रेरित होकर कई अन्य युवा खिलाड़ी भी खेलों में अपनी पहचान बनाने का सपना देखेंगे।