
गर्मियों की दस्तक के साथ ही देशभर में लोगों ने देसी जुगाड़ से ठंडी हवा के अनोखे इंतज़ाम शुरू कर दिए हैं। गाँवों और कस्बों में बिना बिजली के प्राकृतिक AC बनाए जा रहे हैं, जिनमें मटकों, बांस और गीली टट्टियों का इस्तेमाल हो रहा है। कहीं लोग मिट्टी की दीवारों से घर ठंडे कर रहे हैं तो कहीं पुराने कूलर को नए अंदाज़ में बदलकर कम खर्च में शानदार ठंडक का इंतज़ाम कर रहे हैं। यह पारंपरिक तरीके न सिर्फ सस्ते हैं बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं। क्या आपने भी कोई देसी AC तैयार किया है?
गर्मियों की शुरुआत के साथ ही देशभर में तपिश बढ़ने लगी है, लेकिन देसी जुगाड़ में माहिर लोगों ने इसका अनोखा समाधान निकाल लिया है। शहरों में जहां महंगे एयर कंडीशनर और कूलर खरीदे जा रहे हैं, वहीं गांवों और कस्बों में बिना बिजली के प्राकृतिक एसी बनाए जा रहे हैं।
इन पारंपरिक तरीकों में मटकों, बांस, गीली टट्टियों और मिट्टी की दीवारों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे घरों और कमरों को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखा जा सके।कई लोग पुराने कूलर को नए अंदाज़ में तैयार कर रहे हैं, तो कुछ ने घर की खिड़कियों पर बांस और खस की चटाई लगाकर ठंडी हवा का इंतज़ाम कर लिया है।
कहीं दीवारों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है, तो कहीं लोग घर की छत पर मिट्टी बिछाकर उसे ठंडा रखने की कोशिश कर रहे हैं।
खासकर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ये देसी जुगाड़ खूब प्रचलित हो रहे हैं।इन पारंपरिक तरीकों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बिजली की बचत करते हैं और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते। यह पुराने समय की वे तकनीकें हैं, जो हमारे पूर्वजों ने अपनाई थीं और आज भी गर्मी से राहत दिलाने में कारगर साबित हो रही हैं। क्या आपने भी इस गर्मी में कोई देसी AC बनाया है? हमें बताइए!