प्यार, विद्रोह या कानून का दुरुपयोग? जब बेटियां भागकर शादी के बाद माता-पिता को ही बना रही हैं दुश्मन!”

आज के समाज में एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखने को मिल रही है।

कई लड़कियां अपनी मर्जी से घर से भागकर प्रेम विवाह कर लेती हैं और फिर कोर्ट में जाकर अपने ही माता-पिता के खिलाफ सुरक्षा की मांग करती हैं। जिस माता-पिता ने जन्म दिया, पाला-पोसा, अच्छे संस्कार दिए और हर मुश्किल घड़ी में साथ खड़े रहे, वे अचानक खतरनाक कैसे हो सकते हैं? क्या यह सच में किसी खतरे का मामला है, या फिर कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है?जब बच्चा छोटा होता है, तब माता-पिता उसकी हर जरूरत का ध्यान रखते हैं—शिक्षा, स्वास्थ्य, भावनात्मक समर्थन और भविष्य के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करते हैं।

लेकिन जब वही बच्चा बड़ा होकर अपने ही माता-पिता को खलनायक साबित करने की कोशिश करता है, तो यह समाज और परिवार व्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाती है।क्या कानून का हो रहा है गलत इस्तेमाल?

कानून की नजर में हर व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, लेकिन जब यही अधिकार माता-पिता को मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल होने लगे, तो यह सोचने का विषय है। कई मामलों में देखा गया है कि लड़कियां प्रेम विवाह करने के बाद अपने माता-पिता पर जबरदस्ती, मारपीट या जान से मारने की धमकी देने जैसे झूठे आरोप लगा देती हैं, जिससे माता-पिता को कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

समाज और परिवार पर असर जब ऐसे मामले सामने आते हैं, तो न केवल माता-पिता को मानसिक आघात पहुंचता है, बल्कि पूरे समाज में पारिवारिक मूल्यों को लेकर एक नकारात्मक संदेश जाता है। अगर माता-पिता पर इस तरह के झूठे आरोप लगते रहेंगे, तो भविष्य में हर माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश करने से पहले सौ बार सोचेंगे। यह स्थिति पारिवारिक रिश्तों में विश्वास को कमजोर कर सकती है।

सरकार और न्यायपालिका को उठाने चाहिए ठोस कदम सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और ऐसे मामलों के लिए ठोस नियम बनाने चाहिए। माता-पिता की स्थिति और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी कानून में संशोधन की जरूरत है।

अदालतों को चाहिए कि वे हर मामले में निष्पक्ष जांच करें और केवल वास्तविक खतरों की स्थिति में ही सुरक्षा प्रदान करें, ताकि कानून का दुरुपयोग रोका जा सके।

निष्कर्षप्रेम विवाह करना किसी भी व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार माता-पिता को प्रताड़ित करने और समाज में नकारात्मकता फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए। हर व्यक्ति को अपने माता-पिता के बलिदानों और उनकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। सरकार, न्यायपालिका और समाज को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा, ताकि परिवारों की गरिमा और माता-पिता के सम्मान की रक्षा हो सके।

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