राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में खेजड़ी पेड़ों की कटाई को लेकर विरोध तेज हो गया है। बाड़मेर जिले में पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में सोमवार को बाड़मेर बंद रखा गया। व्यापारियों और पर्यावरण प्रेमियों ने अपने प्रतिष्ठान दोपहर 1 बजे तक बंद रखकर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने जिला कलेक्टर टीना डाबी को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि खेजड़ी पेड़ों की कटाई पर सख्त रोक लगाई जाए और दोषियों पर भारी जुर्माना लगाया जाए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि खेजड़ी पेड़ राजस्थान के मरुस्थलीय पर्यावरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये पेड़ न केवल मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, बल्कि जलस्तर बनाए रखने और पर्यावरण को संतुलित रखने में भी सहायक होते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में सोलर कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के कारण इन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। इससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
बीकानेर के कोलायत क्षेत्र में 218 दिनों से यह आंदोलन जारी है, जहां पर्यावरण प्रेमी लगातार धरना देकर खेजड़ी पेड़ों को बचाने की मांग कर रहे हैं। अब यह आंदोलन बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर और बीकानेर सहित अन्य जिलों में भी फैल रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि खेजड़ी की कटाई के कारण इन क्षेत्रों में तापमान लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल राजस्थान के इन इलाकों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक दर्ज किया गया था, जो कि बेहद चिंताजनक है।
स्थानीय व्यापारियों और आम जनता ने सरकार से खेजड़ी पेड़ों की कटाई पर जुर्माना बढ़ाने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि इस कटाई पर रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाले वर्षों में मरुस्थलीय क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र और भी खराब हो सकता है। सरकार और प्रशासन से जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की अपील की गई है ताकि खेजड़ी के संरक्षण से पर्यावरण को बचाया जा सके।