
खड़ीन गांव में एक अत्यंत हृदयस्पर्शी और श्रद्धामय दृश्य देखने को मिला जब महाकुंभ तीर्थ यात्रा से लौटे हेमाराम जी कड़वासरा और उनकी धर्मपत्नी का उनके घर पर पारंपरिक रीति-रिवाजों से भव्य स्वागत किया गया।

इस विशेष अवसर पर परिवारजनों ने पूरे उत्साह और सम्मान के साथ उनका अभिनंदन किया।हेमाराम जी कड़वासरा, जो अपने धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति गहरी आस्था रखते हैं, ने महाकुंभ तीर्थ यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न करने के बाद जब अपने गृह गांव खड़ीन में प्रवेश किया, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

उनके आगमन पर परिवार और गांववासियों ने मिलकर उन्हें हार-फूल और मालाओं से स्वागत किया। इस शुभ अवसर पर उनके बड़े बेटे सुरेश कुमार और हरीश कड़वासरा ने अपनी पत्नियों के साथ मिलकर अपने माता-पिता के चरण धोकर उनका अभिवादन किया।भारतीय परंपरा में माता-पिता को ईश्वर तुल्य माना जाता है और उनके चरण धोकर आशीर्वाद लेने की यह प्राचीन परंपरा आज भी कई परिवारों में निभाई जाती है।

इसी भावना से प्रेरित होकर सुरेश और हरीश कड़वासरा ने कांशी की थाली में जल भरकर अपने माता-पिता के चरण धोए और पूरे परिवार ने मिलकर इस पावन क्षण को और भी खास बना दिया। बहुओं ने श्रद्धा और समर्पण का परिचय देते हुए अपनी सास-ससुर के पांव पखारे, जिससे परिवार में आपसी प्रेम और सम्मान की अद्भुत झलक देखने को मिली।

इस अवसर पर पूरे घर में हर्षोल्लास का वातावरण था। महिलाओं ने मंगलगीत गाए, घर के बुजुर्गों ने आशीर्वाद दिया और पूरे परिवार ने मिलकर इस शुभ आगमन को यादगार बना दिया। गांव के अन्य लोग भी इस समारोह में शामिल हुए और सभी ने मिलकर इस धार्मिक और पारिवारिक आयोजन की भव्यता को और बढ़ा दिया।हेमाराम जी कड़वासरा ने भी इस आत्मीय स्वागत से भावुक होते हुए अपने परिवार को आशीर्वाद दिया और सभी को धर्म और संस्कृति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

उन्होंने महाकुंभ की यात्रा के अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि कैसे यह यात्रा आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनी।

यह स्वागत समारोह न केवल एक परिवार के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बना कि किस तरह भारतीय संस्कृति में बड़ों का सम्मान और धार्मिक परंपराओं का कितना महत्वपूर्ण स्थान है। खड़ीन गांव में हुए इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि आज भी परंपराएं जीवित हैं और नई पीढ़ी उन्हें पूरे श्रद्धा भाव से निभाने के लिए तत्पर है।