मेघालय मर्डर से लेकर मस्क-ट्रम्प मेल तक: 11 जून की टॉप ब्रेकिंग न्यूज़!

आज की बड़ी खबरें (11 जून 2025) मेघालय हनीमून मर्डर केस में नया खुलासा सोनम रघुवंशी के पति की गला रेतकर हत्या के मामले में…

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भारत-पराग्वे मुलाकात, असम में बाढ़ का कहर, राजस्थान में बदला मौसम – जानें आज की 5 बड़ी खबरें!

राष्ट्रीय समाचार पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश और बाढ़: असम और अरुणाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है।…

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🏏 RCB ने पंजाब किंग्स को हराकर आईपीएल 2025 के फाइनल में प्रवेश किया

🏏 RCB ने पंजाब किंग्स को हराकर आईपीएल 2025 के फाइनल में प्रवेश किया मुल्लानपुर, 29 मई 2025 – रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने आईपीएल…

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15 मई की 10 बड़ी खबरें: मोदी की चेतावनी, कोहली का संन्यास और कोर्ट से लेकर कांस तक हलचल

15 मई 2025: आज की प्रमुख खबरों पर एक विस्तृत विश्लेषण आज का दिन भारत और विश्व के लिए कई महत्वपूर्ण घटनाओं से भरा रहा।…

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राजस्थान बोर्ड 10वीं का रिजल्ट मई में ही जारी करने की तैयारी में, RBSE ने तेज की प्रक्रिया

जयपुर, 12 मई 2025: राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) इस बार 10वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम मई महीने में ही जारी करने की दिशा में…

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"माँ की ममता से राष्ट्रपति भवन तक: द्रौपदी मुर्मू की भावनात्मक यात्रा" प्रस्तावना: देश की प्रथम नागरिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लिखा गया यह विशेष लेख 'माँ' के त्याग, प्रेम और ममता को समर्पित है। यह लेख न केवल एक व्यक्तिगत अनुभव है, बल्कि यह समाज के उन अनगिनत माताओं को भी श्रद्धांजलि है, जिनके बलिदान और संस्कारों के कारण संतानें ऊँचाइयों तक पहुँचती हैं। 'मेरा अस्तित्व, व्यक्तित्व, परिचय... सब माँ की देन' शीर्षक के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि जीवन में जो कुछ भी उन्होंने पाया है, उसकी नींव उनकी माँ ने रखी। माँ की सीखें: बचपन से राष्ट्रपति भवन तक द्रौपदी मुर्मू अपने लेख में बताती हैं कि बचपन में कोई भी महत्वपूर्ण या गूढ़ सवाल जब घर आता था, तो बच्चे-बच्चियाँ माँ से ही पूछते थे। माँ का व्यवहार, उनका काम करने का तरीका, उनकी संवेदनशीलता और धैर्य—इन सबने ही बच्चों के भीतर सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता विकसित की। यही कारण है कि राष्ट्रपति बनने जैसी महान जिम्मेदारी निभाते हुए भी वे आज खुद को अपनी माँ के संस्कारों से जुड़ा हुआ महसूस करती हैं। संस्कारों की नींव: आदिवासी समाज की विशेषता इस लेख में वे स्पष्ट करती हैं कि उनका पालन-पोषण एक साधारण आदिवासी समाज में हुआ, जहाँ साधनों की कमी थी लेकिन जीवन मूल्यों की कोई कमी नहीं थी। माँ ने कड़ी मेहनत, आत्मनिर्भरता और सामूहिक सहयोग जैसे जीवन दर्शन सिखाए। वे बताती हैं कि कैसे उनकी माँ खेतों में काम करते हुए भी अपनी बेटियों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान देती थीं। नारी शिक्षा का महत्व राष्ट्रपति मुर्मू यह भी साझा करती हैं कि कैसे उनके गाँव में लड़कियों की शिक्षा को उतना महत्व नहीं दिया जाता था, परंतु उनकी माँ ने इस सामाजिक सोच को चुनौती दी और उन्हें पढ़ाया-लिखाया। यह निर्णय उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ बना। आज जब वे भारत की राष्ट्रपति हैं, तो वे माँ के उसी निर्णय को सबसे बड़ी प्रेरणा मानती हैं। गरीबी में भी आत्मसम्मान की शिक्षा वे यह भी लिखती हैं कि माँ ने कभी भी परिस्थितियों के आगे हार नहीं मानी। गरीबी में भी आत्मसम्मान बनाए रखा। उनका कहना है कि माँ ने यह सिखाया कि मदद माँगने से बेहतर है कि खुद पर भरोसा रखा जाए और मेहनत से आगे बढ़ा जाए। समाज और राष्ट्र निर्माण में माँ की भूमिका द्रौपदी मुर्मू यह मानती हैं कि किसी भी समाज और राष्ट्र की नींव माँ की गोद में ही रखी जाती है। एक माँ ही सबसे पहला स्कूल होती है। उन्होंने अपने लेख में बताया कि कैसे आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी माँ की भूमिका समाज निर्माण में सर्वोपरि बनी हुई है। मातृत्व और नेतृत्व का संगम यह लेख मातृत्व और नेतृत्व के बीच के गहरे संबंध को भी उजागर करता है। राष्ट्रपति मुर्मू बताती हैं कि माँ ने उन्हें सिर्फ स्त्री धर्म ही नहीं, बल्कि नेतृत्व के मूल तत्व भी सिखाए—जैसे धैर्य, सब्र, करुणा, न्याय और निर्णय लेने की क्षमता। ‘नारी सशक्तिकरण 2.0’ की नींव माँ के आँचल से लेख में उन्होंने उल्लेख किया कि आज देश में ‘नारी सशक्तिकरण 2.0’ की बात हो रही है, परंतु इसकी नींव तो माँ के आँचल में ही रही है। वे माँ को ही पहली नेता, पहली शिक्षिका और पहली मार्गदर्शिका मानती हैं। समापन: माँ की पूजा, सिर्फ एक दिन नहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का लेख केवल एक भावनात्मक संस्मरण नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय संदेश भी है। वे इस लेख के माध्यम से यह कहना चाहती हैं कि माँ की पूजा केवल 'मदर्स डे' जैसे एक दिन तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हर दिन उनके योगदान को स्मरण किया जाना चाहिए। निष्कर्ष: माँ का आँचल—संस्कारों की पाठशाला इस भावनात्मक लेख से यह स्पष्ट होता है कि द्रौपदी मुर्मू जैसी ऊँचाई पर पहुँचने वाली महिला भी अपने व्यक्त

माँ की ममता से राष्ट्रपति भवन तक: द्रौपदी मुर्मू की भावनात्मक यात्रा

प्रस्तावना: देश की प्रथम नागरिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लिखा गया यह विशेष लेख ‘माँ’ के त्याग, प्रेम और ममता को समर्पित है। यह लेख…

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Akash Missile System: ‘मेरे लिए खुशी का दिन’, ‘आकाश’ के पाकिस्तानी मिसाइल को ढेर करने पर बोले पूर्व वैज्ञानिक

AUTHOR jasa ram(class of student) India-PAK Tension: पाकिस्तान की तरफ से भारत पर किए जा रहे मिसाइल हमलों को नाकाम करने वाले आकाश मिसाइल सिस्टम को…

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भारत-पाकिस्तान सीज़फायर पर सहमत, डोनाल्ड ट्रंप ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका 10 मई 2025 | विशेष रिपोर्ट | लेखक: [आपका नाम] दक्षिण एशिया एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ा था, जहाँ युद्ध और शांति के बीच एक पतली सी रेखा बची थी। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के दिनों में तीव्र सैन्य तनाव और सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते हमलों के बाद यह स्पष्ट था कि हालात किसी भी क्षण नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं। ऐसे में आज सुबह एक अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण खबर सामने आई, जिसने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने ट्वीट कर दावा किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों अब "पूर्ण और तत्काल सीज़फायर" के लिए राज़ी हो गए हैं। यह घोषणा ऐसे समय आई है जब सीमा पर सेना की तैनाती, एयर डिफेंस की सतर्कता और आम जनता में भय का माहौल अपने चरम पर था। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह घटनाक्रम कैसे विकसित हुआ, इसमें डोनाल्ड ट्रंप की क्या भूमिका रही, और आगे इसके क्या मायने हो सकते हैं। डोनाल्ड ट्रंप का दावा: बातचीत, बुद्धिमानी और समझदारी डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जो संदेश जारी किया, उसमें उन्होंने कहा: > "After a long night of talks mediated by the United States, I am pleased to announce that India and Pakistan have agreed to a FULL AND IMMEDIATE CEASEFIRE. Congratulations to both Countries on using Common Sense and Great Intelligence. Thank you for your attention to this matter!" इस बयान में ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के मध्यस्थता प्रयासों के चलते दोनों देशों ने तर्क और समझदारी का परिचय देते हुए सीज़फायर पर सहमति जताई है। ट्रंप ने खुद को वार्ता का संयोजक बताते हुए इस निर्णय को ‘बुद्धिमत्ता और सामान्य समझ’ की जीत कहा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रयास किस औपचारिक या अनौपचारिक माध्यम से किए गए थे, फिर भी इस बयान ने निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच जारी सैन्य तनाव में एक नया मोड़ ला दिया है। पृष्ठभूमि: युद्ध के कगार पर भारत-पाकिस्तान बीते कुछ हफ्तों से भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हिंसा बढ़ती जा रही थी। जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में लगातार गोलाबारी, आतंकवादियों की घुसपैठ, और जवाबी कार्रवाई की घटनाएं आम हो गई थीं। भारत की ओर से हुई सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक की खबरें सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में गूंज रही थीं। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भी अपने सैन्य ठिकानों को एक्टिव मोड में डाल दिया था। इन घटनाओं के चलते देशभर में अलर्ट जारी किया गया था। राजस्थान के बाड़मेर जिले में लॉकडाउन जैसी स्थिति बन गई थी और नागरिकों से सेना की मूवमेंट के वीडियो या जानकारी साझा न करने की अपील की गई थी। क्या डोनाल्ड ट्रंप की बात पर भरोसा किया जा सकता है? यह सवाल लाजिमी है कि एक ऐसे व्यक्ति की बात कितनी विश्वसनीय हो सकती है जो अब अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं हैं। ट्रंप की राजनीति हमेशा से ही विवादों में रही है, और वे कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं जिन्हें लेकर बाद में स्पष्टीकरण देना पड़ा। बावजूद इसके, यह सच है कि उनके कार्यकाल में उन्होंने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। इस वक्त उनका यह दावा अचानक नहीं बल्कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रतीत होता है। यदि यह दावा सच है, तो यह एक बड़ी कूटनीतिक सफलता कही जा सकती है, लेकिन यदि यह केवल एक राजनीतिक स्टंट है, तो इससे गलतफहमियां और भी बढ़ सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: चुप्पी या प्रतीक्षा? मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया ट्रंप के ट्वीट और वीडियो बयान ने भारतीय और पाकिस्तानी मीडिया में हलचल मचा दी है। समाचार चैनल इसकी सत्यता को लेकर लगातार बहस कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर हैशटैग #Ceasefire, #IndiaPakistanPeace, और #TrumpMediator ट्रेंड करने लगे हैं। कुछ लोग इसे एक राहत की खबर मान रहे हैं, वहीं कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि इस वक्त ट्रंप की ओर से ऐसा बयान क्यों आया, और क्या इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा है। भारतीय दृष्टिकोण: क्या यह समझदारी है या दबाव में लिया गया निर्णय? भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। चाहे वह उरी हमले के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक हो या पुलवामा हमले के बाद की एयरस्ट्राइक, भारत ने दिखाया है कि वह जवाब देने में हिचकिचाता नहीं है। ऐसे में यदि भारत सीज़फायर के लिए सहमत हुआ है, तो इसके पीछे दो संभावनाएँ हो सकती हैं: 1. राजनयिक दबाव – अमेरिका जैसे देश द्वारा कूटनीतिक दबाव बनाया गया हो। 2. रणनीतिक सफलता के बाद विराम – भारत ने अपना सैन्य उद्देश्य पूरा कर लिया हो और अब आगे की कार्रवाई को रोका हो। पाकिस्तानी दृष्टिकोण: राहत या रणनीति? पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति नाजुक है। ऐसे में लगातार सैन्य तनाव उसे और नुकसान पहुँचा सकता था। अगर वह सीज़फायर के लिए राज़ी हुआ है, तो यह उसकी रणनीति हो सकती है कि वह अभी के लिए स्थिति को शांत करे और अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को "शांति के पक्षधर" के रूप में प्रस्तुत करे। भविष्य की राह: क्या यह स्थायी समाधान है? सीज़फायर की खबरें पहले भी आती रही हैं, लेकिन अक्सर यह थोड़े समय बाद टूट जाती हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है – क्या यह संघर्ष विराम स्थायी साबित होगा? इसके लिए ज़रूरी है कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल हो, संवाद की प्रक्रिया जारी रहे, और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर सख्त और साझा कार्रवाई हो। समाप्ति विचार: उम्मीद की एक किरण वर्तमान समय में जब दुनिया भर में युद्ध, राजनीतिक अस्थिरता और कूटनीतिक खींचतान आम हो गई है, ऐसे में भारत और पाकिस्तान जैसे दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच संघर्षविराम की खबर उम्मीद की किरण की तरह है। अगर यह निर्णय वास्तव में लिया गया है और उसे ईमानदारी से लागू किया गया, तो यह पूरे दक्षिण एशिया के लिए शांति और विकास की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। ट्रंप का यह दावा भले ही विवादास्पद हो, लेकिन यदि इसका परिणाम हिंसा की बजाय शांति में होता है, तो यह इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। [नोट: यह रिपोर्ट एक वायरल संदेश और ट्रंप के कथित बयान पर आधारित है। भारत और पाकिस्तान की सरकारों से आधिकारिक पुष्टि आने तक अंतिम निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगी।]

भारत-पाकिस्तान सीज़फायर पर सहमत, डोनाल्ड ट्रंप ने निभाई मध्यस्थ की भूमिका

10 मई 2025 | विशेष रिपोर्ट | लेखक: [kesharam karwarsra] दक्षिण एशिया एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ा था, जहाँ युद्ध और शांति के…

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