
सूरतगढ़ (राजस्थान):
राजस्थान के सूरतगढ़ क्षेत्र में सर्दी का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आज सुबह पूरे इलाके में घने कोहरे की चादर छाई रही, जिससे दृश्यता 50 मीटर से भी कम हो गई। न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस सर्दी के मौसम का सबसे कम तापमान है। ठंड ने न केवल जनजीवन को प्रभावित किया, बल्कि यातायात और दैनिक गतिविधियों को भी धीमा कर दिया है।
कोहरे का असर:
सूरतगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में घने कोहरे के कारण वाहनों की रफ्तार बेहद धीमी हो गई। खासतौर पर हाईवे पर सुबह के समय वाहन चालकों को लाइट्स ऑन करके चलना पड़ा। रेलवे यातायात भी प्रभावित हुआ, और कुछ ट्रेनें देर से पहुंचीं। स्कूल और कार्यालय जाने वाले लोगों को इस मौसम में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
लोगों की दिनचर्या पर असर:
ठंड के कारण लोग गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए। सड़कों और बाजारों में सुबह के समय कम ही लोग दिखे। चाय और गर्म पकवानों की दुकानों पर भीड़ अधिक रही। वहीं, कई घरों में अलाव जलाकर लोग ठंड से राहत पाने की कोशिश करते दिखे।
प्रशासन की अपील:
स्थानीय प्रशासन ने कोहरे और ठंड को देखते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। वाहन चालकों से धीमी गति और ट्रैफिक नियमों का पालन करने का आग्रह किया गया है। साथ ही, बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनने और घर से बाहर कम निकलने की सलाह दी गई है।
किसानों के लिए राहत:
सर्दियों का यह मौसम किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कोहरा और ठंड गेंहूं और सरसों जैसी फसलों के लिए लाभकारी है। हालांकि, ठंड बढ़ने से कुछ क्षेत्रों में सिंचाई की मांग बढ़ सकती है, लेकिन वर्तमान हालात फसल उत्पादन के लिए अनुकूल माने जा रहे हैं।
आने वाले दिनों का पूर्वानुमान:
मौसम विभाग के अनुसार, सूरतगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में अगले कुछ दिनों तक ठंड का यही हाल बना रहेगा। तापमान में और गिरावट की संभावना है, और कोहरा सुबह के समय जनजीवन को प्रभावित करता रहेगा।
स्थानीय प्रतिक्रिया:
स्थानीय निवासी मुकेश कुमार ने बताया, “इतनी ठंड सूरतगढ़ में बहुत कम देखने को मिलती है। सुबह कोहरे के कारण काम पर जाना मुश्किल हो गया, लेकिन हम इस ठंड को सहने के लिए तैयार हैं।” वहीं, बुजुर्गों का कहना है कि यह ठंड उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है, इसलिए वे विशेष ध्यान दे रहे हैं।
सूरतगढ़ में सर्दी का यह मौसम जहां एक ओर राहत और मुश्किलों का संगम है, वहीं प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इससे निपटने के लिए तैयार हैं।