एक माँ का सपना: संघर्ष से IAS बनने तक की कहानी

गाँव के छोटे से घर में रहने वाली सुनीता देवी का जीवन आसान नहीं था। पति की मृत्यु के बाद उन पर अकेले ही परिवार चलाने की जिम्मेदारी आ गई। उनका बेटा अजय केवल पाँच साल का था, जब उनके सिर से पति का साया उठ गया। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। दूसरों के घरों में काम करके उन्होंने किसी तरह बेटे की पढ़ाई जारी रखी। उनका सपना था कि अजय बड़ा होकर कुछ ऐसा करे जिससे समाज में उनका सम्मान बढ़े।

संघर्ष की शुरुआत

अजय बचपन से ही पढ़ाई में होशियार था। उसने अपनी माँ की मेहनत देखी थी और समझ लिया था कि अगर गरीबी से बाहर निकलना है, तो शिक्षा ही उसका एकमात्र सहारा है। गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करते हुए भी उसने हमेशा टॉप किया।

12वीं कक्षा में उसने जिले में पहला स्थान हासिल किया, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। जब गाँव के एक शिक्षक को उसकी लगन के बारे में पता चला, तो उन्होंने अजय की कॉलेज की फीस भरने में मदद की। सुनीता देवी भी दिन-रात मेहनत करके बेटे की पढ़ाई के लिए पैसे जुटाने लगीं।

IAS बनने का सपना

उसने निश्चय किया कि वह बिना कोचिंग के ही तैयारी करेगा। गाँव की लाइब्रेरी में उपलब्ध किताबों से पढ़ाई करने लगा। दिन में 12-14 घंटे पढ़ाई करता और हर दिन अखबार पढ़कर समसामयिक घटनाओं पर अपनी पकड़ मजबूत करता। उसकी माँ रोज उसके लिए चाय बनाकर लातीं और कहतीं, “बेटा, मेहनत कर, बस एक दिन तेरा नाम रोशन होगा।”

पहली असफलता और फिर जीत

पहली बार जब उसने UPSC की परीक्षा दी, तो वह मुख्य परीक्षा (Mains) में असफल हो गया। यह उसकी ज़िंदगी का सबसे कठिन समय था। वह हताश हो गया, लेकिन उसकी माँ ने उसका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा, “हारने से कुछ नहीं होता, गिरकर उठने वाले ही जीतते हैं।”

अजय ने और ज्यादा मेहनत की। अगले साल उसने फिर से परीक्षा दी और इस बार इंटरव्यू तक पहुँच गया। आख़िरकार, तीसरे प्रयास में उसने UPSC की परीक्षा पास कर ली और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुआ।

गाँव में सम्मान

जब अजय IAS अधिकारी बनकर गाँव लौटा, तो पूरा गाँव उसे देखने उमड़ पड़ा। जिस समाज ने कभी उसकी माँ का मज़ाक उड़ाया था, वही आज उनके सम्मान में खड़ा था। सुनीता देवी की आँखों में आँसू थे, लेकिन वे खुशी के आँसू थे।

अजय ने अपनी माँ के पैर छुए और कहा, “माँ, ये सब आपकी मेहनत और आशीर्वाद का नतीजा है।”

प्रेरणा की कहानी

यह कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत, हौसला और आत्मविश्वास से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। गरीबी और संघर्ष कभी किसी की सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकते, अगर इंसान सच्चे मन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़े। एक माँ की मेहनत और बेटे की लगन ने असंभव को संभव कर दिखाया।

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