हरियाणा के झज्जर जिले के रहने वाले और IITian के नाम से मशहूर अभय सिंह उर्फ “बाबा” एक बार फिर चर्चाओं में हैं। प्रयागराज महाकुंभ से सुर्खियां बटोरने वाले अभय सिंह ने खुद को बाबा मानने से इनकार करते हुए परिवार और समाज को लेकर कई तीखे सवाल उठाए हैं। अभय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट और इंटरव्यू के जरिए अपने विचार साझा किए, जिसमें उन्होंने भारतीय पारिवारिक परंपराओं, पेरेंटिंग, और समाज के माइंडसेट पर खुलकर बात की।

परिवार से नाखुश, बोले- ‘मां-बाप भगवान नहीं’
अभय सिंह ने अपने पोस्ट में कहा कि भारत में बच्चों पर ‘पेरेंटल ट्रैप’ के नाम पर भारी दबाव डाला जाता है। उन्होंने कहा, “मां-बाप भगवान नहीं होते। यह कलयुग का ट्रैप है। सतयुग का कॉन्सेप्ट आज के समय में लागू नहीं हो सकता। मां-बाप को भगवान तभी कहा जा सकता है, जब वे भगवान जैसे हों। आजकल माता-पिता बच्चों को सिर्फ अपने काम के लिए तैयार कर रहे हैं, जैसे घोड़े-गधे।”
‘फोटोग्राफी करने पर शर्म आती थी’
अभय सिंह ने बताया कि जब उन्होंने फोटोग्राफी को अपना करियर बनाया, तो उनके परिवार को शर्म महसूस होती थी। वे इसे पड़ोसियों को बताने से भी कतराते थे। अभय ने कहा, “मेरा IIT करने का मकसद यही था कि मुझे घर से दूर जाना था। मेरा घर का माहौल ऐसा था कि मुझे वहां से भागने का मन करता था। जब मैंने मेडिटेशन शुरू किया, तो परिवार ने मुझे पागल करार दे दिया।”
‘IIT का लेबल सोसाइटी का माइंडसेट’
अभय ने कहा कि लोग उनके IITian होने को लेकर बहुत चर्चा कर रहे हैं, लेकिन यह उनके व्यक्तित्व का प्रतिबिंब नहीं है। उन्होंने कहा, “IIT का लेबल सोसाइटी के माइंडसेट को दर्शाता है, न कि मुझे। यह दिखाता है कि समाज में डिग्री को इंसान से ज्यादा महत्व दिया जाता है।”
पिता का बयान: ‘अब वह घर नहीं आ सकता’
अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका बेटा इकलौता है और उसकी सोच हमेशा से स्वतंत्र रही है। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि वह घर वापस आए, लेकिन अब वह स्टेज निकल चुकी है। हमने उससे संपर्क करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह अब हमारे साथ नहीं रहना चाहता।”

4 साल की गर्लफ्रेंड और शादी का सवाल

अभय सिंह ने अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात करते हुए बताया कि उनकी एक गर्लफ्रेंड थी, जो 4 साल तक उनके साथ रही। लेकिन उन्हें रिश्ते को आगे बढ़ाने का कोई रास्ता नहीं दिखा। उन्होंने कहा, “जब आपने रिश्तों को निभाने के खराब उदाहरण देखे हों, तो समझना मुश्किल हो जाता है कि आगे क्या करना है। अब मेरे लिए सिर्फ महादेव हैं।”
सोशल मीडिया पर पोस्ट और वायरल स्टेटमेंट
अभय सिंह ने खुद को बाबा मानने से इनकार करते हुए कहा कि लोग उन पर जबरन यह लेबल थोप रहे हैं। उन्होंने लिखा, “मैं न तो कोई बाबा हूं और न ही महाराज। यह लेबल मुझे नहीं, बल्कि सोसाइटी की सोच को दर्शाता है।”
पिता की 3 अहम बातें:
1.फैसले पर कोई जानकारी नहीं दी: अभय सिंह ने परिवार को अपने फैसलों के बारे में कभी नहीं बताया।
2.जिंदगी जीने का अधिकार: पिता ने कहा, “हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है।”
3.प्रेशर का कोई फायदा नहीं: उन्होंने स्वीकार किया कि अब अभय पर दबाव डालकर कोई बात मनवाई नहीं जा सकती।